भाग - १
मङ्गलाचरण
सुग्रीव का दुःख सुनाना, बालि वध की प्रतिज्ञा, श्रीरामजी का मित्र-लक्षण-वर्णन, सुग्रीव का वैराग्य
तारा का विलाप, तारा को श्रीरामजी द्वारा उपदेश और सुग्रीव का राज्याभिषेक तथा अङ्गद को युवराज पद
समुद्र लाँघने का परामर्श, जाम्बवन्त का हनुमान् जी को बल याद दिलाकर उत्साहित करना, श्रीराम-गुण का माहात्म्य
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