श्री विष्णु षोडश नाम स्तोत्रं
औषधे चिन्तयेद्विष्णुं भोजने च जनार्दनम् ।
औषधि लेते समय श्रीविष्णु (जो सृष्टि का भरण, पोषण और पालन करने वाले हैं) का स्मरण करें, भोजन करते समय जनार्दन (लोगों के कष्ट हरने वाले श्रीकृष्ण) का स्मरण करें ।
शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिम् ॥ १ ॥
सोते समय पद्मनाभ (जिनकी नाभि में कमल है) का स्मरण करें, विवाह के समय प्रजापति (सृष्टि को उत्पन्न करने वाले) का स्मरण करें ।
युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमम् ।
युद्ध के समय चक्रधर देवता (चक्रधारी श्रीविष्णु/श्रीकृष्ण) का स्मरण करें, प्रवास (यात्रा) में त्रिविक्रम (तीन कदमों से सारे विश्र्व को अतिक्रमण करने वाले) का स्मरण करें ।
नारायणं तनुत्यागे श्रीधरं प्रियसङ्गमे ॥ २ ॥
मृत्यु के समय नारायण (जल जिसका प्रथम अयन या अधिष्ठान है) का स्मरण करें, पतिपत्नी के समागम पर श्रीधर (देवी लक्ष्मी के पति) का स्मरण करें ।
दुस्स्वप्ने स्मर गोविन्दं सङ्कटे मधुसूदनम् ।
बुरे स्वप्न आते हों तो गोविंद (गोशाला या गौओं के अध्यक्ष - श्रीकृष्ण) का स्मरण करें, संकट में मधुसूदन (मधु नामक दैत्य को मारने वाले, श्रीकृष्ण) का स्मरण करें ।
कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनम् ॥ ३ ॥
जंगल में संकट के समय नृसिंह (श्रीविष्णु का अवतार, जिनका आधा शरीर मनुष्य का और आधा सिंह का था) का स्मरण करें, अग्नि संकट के समय जलाशयी (जो समुद्र में वास करते हैं) का स्मरण करें ।
जलमध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् ।
पानी में डूबने का भय हो तो वराह (श्रीविष्णु के सूअर का अवतार) का स्मरण करें, पर्वत पर संकट के समय रघुनंदन (श्रीविष्णु का श्रीराम अवतार) का स्मरण करें ।
गमने वामनं चैव सर्वकालेषु माधवम् ॥ ४ ॥
गमन करते समय वामन (श्रीविष्णु का बौना अवतार) का स्मरण करें, कोई भी कार्य करते समय माधव (शहद के समान मीठा) का स्मरण करें ।
षोडशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत् ।
जो हर सुबह भोर (सूर्योदय से पहले का समय) के समय भगवान विष्णु के इन सोलह पवित्र नामों का पाठ करता है,
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुलोके महीयते ॥ ५ ॥
वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाएगा, और जब वह शरीर का त्याग करेगा, वह वैकुंठ लोक (सर्वोच्च लोक) प्राप्त करेगा ।